फिशर (गुदा में दरार) क्या है? । Anal fissure kya hai
गुदा दरारें, गुदा नहर की परत में होने वाली एक प्रकार की दरारें या अल्सर हैं जो म्यूकोक्यूटेनियस जंक्शन (डेंटेट लाइन) के नीचे होती हैं। गुदा दरारें अक्सर किसी आघात के कारण होती हैं और मल त्याग के दौरान तीव्र दर्द का कारण बनती हैं। गुदा विदर के कारण मरीज को तीव्र दर्द होता है और मल त्यागते समय रक्तस्राव हो सकता है। इसके अलावा गुदा के अंत में मांसपेशियों की रिंग में ऐंठन भी हो सकती है।
छोटे शिशुओं में गुदा विदर बहुत आम समस्या होती है। अधिकांश गुदा विदर सामान्य उपचार से ठीक हो जाते हैं। लेकिन इसके कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। यह बीमारी गर्भवती महिलाओं को भी हो सकती है। गुदा विदर से पीड़ित लगभग आधे लोगों को 40 वर्ष की आयु से पहले यह समस्या हो जाती है।
फिशर के लक्षण । Fissure ke lakshan in Hindi
एनल फिशर के लक्षण नीचे दिए जा रहे हैं:
- शौच करते समय तेज दर्द होना।
- मलत्याग के साथ जलन या खुजली होना।
- मल में रक्त आना।
- गुदा की मांसपेशियों में ऐंठन।
- चीरे के पास की त्वचा पर गांठ का बनना।
फिशर के कारण । Fissure ke karan in Hindi
एनल फिशर के निम्न कारण हो सकते हैं:
- पुरानी कब्ज
- मल त्यागने के लिए जोर लगाना
- बाधित शौच सिंड्रोम
- शिशु डिस्केज़िया
- क्रोनिक डायरिया
- प्रसव
- एनल सेक्स
- पूर्व में हुई कोई एनल सर्जरी
- यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई)
- सूजन संबंधी आंत्र रोग (आईबीडी)
- गुदा कैंसर
- टीबी
- डायपर रैशेज
फिशर (गुदा में दरार) के इलाज की आवश्यकता क्यों है?
आमतौर पर एनल फिशर के लिए सर्जरी आवश्यक नहीं होती है, लेकिन लगातार बनी रहने वाली गुदा दरारों का इलाज सर्जिकल प्रक्रिया के माध्यम से की किया जा सकता है। ऐसे लोग जिन्हें फिशर के कारण क्रोनिक दर्द रहता है उन्हें यह सर्जरी कराने की आवश्कता होती है। इस सर्जरी के बाद फिशर के कारण होने वाली ब्लीडिंग और असहनीय दर्द से मरीज को राहत मिल जाती है। आमतौर पर इस सर्जरी की आवश्यकता तब पड़ती है जब सामान्य इलाज या ओपन सर्जरी के बाद भी फिशर ठीक नहीं होता है। इस सर्जरी से बार-बार होने वाली गुदा विदर की समस्याओं से बचने में मदद मिलती है।
फिशर (गुदा में दरार) का इलाज कराने से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
फिशर का इलाज कराने से पहले निम्न बातों का ध्यान रखें।
सर्जरी से पहले
- फिशर के मरीज को गुदा रोग विशेषज्ञ की मदद से अपनी जांच करानी चाहिए।
- धूम्रपान उपचार प्रक्रिया को धीमा कर सकता है और जटिलताओं के खतरे को बढ़ा सकता है। ऐसे में यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो सर्जरी से कम से कम दो सप्ताह पहले इसे बंद कर दें।
- सर्जरी से पहले रक्त को पतला करने वाली दवाओं जैसे एस्पिरिन, इबुप्रोफेन और वारफारिन का सेवन करने से बचें। ये सर्जरी के दौरान होने वाली ब्लीडिंग को बढ़ा सकती हैं।
- फाइबर से भरपूर संतुलित आहार लें इससे कब्ज को रोकने और प्रक्रिया के दौरान होने वाली जटिलताओं से बचने में मदद मिल सकती है।
- इस सर्जरी में मरीज को एनेस्थीसिया दिया जाता है। ऐसे में सर्जरी से 6 घंटे पहले तक मरीज को पानी के अलावा कुछ भी खाने या पीने से परहेज करना चाहिए।
- सर्जरी से पहले आपके रक्तचाप, मूत्र और हृदय गति की जांच की जाती है। इसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहें।
- सर्जरी के समय आपको ढीले कपड़े पहनने की आवश्यकता हो सकती है।
सर्जरी के बाद
- सर्जिकल प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में उचित स्वच्छता और ऑपरेशन के बाद सर्जिकल एरिया की अच्छी तरह से देखभाल करें।
- लेजर सर्जरी के बाद मरीज को हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसे में रक्त को पतला करने वाली दवाओं को बंद कर इस प्रकार के जोखिम से बचा जा सकता है।
- गुदा विदर सर्जरी के बाद मरीज को दर्द होना एक सामान्य दुष्प्रभाव है। इससे बचने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं ले सकते हैं।
- कुछ दुर्लभ मामलों में, मरीज को मलत्याग को नियंत्रित करने में असमर्थता हो सकती है।
- गुदा विदर सर्जरी के बाद मरीज को गुदा स्टेनोसिस हो सकता है। हालांकि यह बेहद दुर्लभ केस में होता है। इसके कारण गुदा का संकुचन होता है जो मल त्याग को कठिन और दर्दनाक बना सकता है।
- कुछ मामलों में, गुदा विदर सर्जरी के कारण मरीज को सर्जिकल एरिया में फोड़ा हो सकता है। इसके अलाज की आवश्कता हो सकती है।
- कुछ रोगियों को सर्जरी के दौरान उपयोग की जाने वाली एनेस्थीसिया या अन्य दवाओं से एलर्जी की प्रतिक्रिया का अनुभव हो सकता है।
- गुदा विदर सर्जरी के बाद फिशर दोबारा होने की संभावना होती है।
फिशर (गुदा में दरार) के इलाज की शल्य चिकित्सा प्रक्रिया और विधि
उपयुक्त फिशर थेरेपी की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर फिशर की जांच करते हैं। गुदा के बाहरी हिस्से का परीक्षण करते हैं। इसके लिए डॉक्टर एनोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी, या सिग्मायोडोस्कोपी जैसी नैदानिक प्रक्रियाओं का सुझाव दे सकते हैं। दरार का निर्धारण करने के लिए, ये सभी तकनीकें आंतों या गुदा के अंदरूनी हिस्से की तस्वीर खींचती हैं। एक बार जांच पूरी हो जाने के बाद उचित इलाज किया जाता है।
क्रोनिक गुदा विदर का इलाज सर्जिकल करीके से किया है। इसे स्फिंक्टरोटोमी कहते हैं। पार्श्व आंतरिक स्फिंक्टरोटॉमी के साथ, कई अन्य प्रक्रियाएं भी की जाती हैं, जिनमें फिशरक्टोमी, वी-वाई एडवांसमेंट फ्लैप और लेजर फिशर उपचार शामिल हैं। गुदा विदर के इलाज के लिए निम्नलिखित सर्जिकल प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है:
- स्फिंक्टेरोटॉमी: इस प्रक्रिया का उपयोग क्रोनिक गुदा विदर के इलाज के लिए किया जाता है। यह एक न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल उपचार है। स्फिंक्टेरोटॉमी का उपयोग फिशर के अंतिम उपाय के रूप में किया जाता है। यह तब की जाती है जब लक्षण गंभीर होते हैं या दवाओं से इलाज कराने के बाद भी मरीज को आराम नहीं मिलता है। इस प्रक्रिया के दौरान मरीज को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है। स्फिंक्टरोटोमी में मरीज को कम असुविधा का सामना करना पड़ता है। एक सप्ताह के भीतर, मरीज़ अपनी नियमित गतिविधियां फिर से शुरू कर सकता है।
- विदर-उच्छेदन: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल असंयम के उच्च जोखिम रखने वाले रोगियों में किया जाता है। यानी की ऐसे रोगी जो उम्रदराज हैं, ऐसी महिलाएं जिन्होंने एक समय में एक से अधिक बच्चों को जन्म दिया हो और ऐसे रोगी जो पूर्व में एनोरेक्टल सर्जरी करा चुके हैं। इस प्रक्रिया को मेडिकल की भाषा में फिशरेक्टॉमी कहते हैं। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सर्जन मरीज को बोटोक्स इंजेक्शन के संयोजन की सलाह दे सकता है।
- वी-वाई उन्नति फ्लैप: इस प्रक्रिया का उपयोग उन रोगियों में किया जाता है जो लगातार गुदा विदर से परेशान हैं या उनकी गुदा में वी आकार का कट है। साथ ही इलाज कराने के बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिला है।
- लेजर फिशर उपचार: आंतरिक स्फिंक्टरोटॉमी को पूरा करने के लिए, एक लेजर का उपयोग किया जाता है। इस उपचार के दौरान ब्लीडिंग न के बराबर होती है। साथ ही सर्जिकल साइट पर सर्जन का पूरा नियंत्रण होता है। इस प्रक्रिया में रेशेदार निशान को हटाने के लिए लगातार लेजर का उपयोग किया जाता है। इससे किसी भी दीर्घकालिक परेशानी से बचा जा सकता है और रिकवरी अधिक तेजी से होती है। फिशर का सर्जिकल तरीके से इलाज कराना सबसे सुरक्षित होता है।
फिशर (गुदा में दरार) से होने वाले जोखिम और जटिलताएं
अनुपचारित गुदा विदर के कारण निम्न जटिलताएं हो सकती हैं:
- मरीज को लगातार दर्द और परेशानी का अनुभव हो सकता है। इसके कारण जीवन की गुणवत्ता में कमी आने लगती है।
- दर्द के कारण मल त्याग करना कठिन हो जाता है। कई लोग इसके कारण बार-बार मल त्यागने से बचते हैं।
- उपचार के बाद फिशर के दोबारा होने की संभावना हो सकती है।
- सर्जिकल प्रक्रिया में संक्रमण का खतरा रहता है। ऐसे में उचित स्वच्छता और ऑपरेशन के बाद की सर्जिकल एरिया की अच्छी तरह से देखभाल करके इस जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
- फिशर की लेजर सर्जरी के बाद मरीज को हल्की ब्लीडिंग हो सकती है।
फिशर (गुदा में दरार) के ऑपरेशन के बाद देखभाल कैसे करें?
फिशर सर्जरी के बाद निम्न बातों का ध्यान रखें:
- सर्जरी के बाद रुटीन चेकअप कराते रहें।
- ऑपरेशन के बाद कम से कम एक सप्ताह तक किसी भी प्रकार की ज़ोरदार गतिविधि में भाग न लें।
- दिन में कम से कम तीन बार सिट्ज़ बाथ लें। ऑपरेशन के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक, प्रत्येक मल त्याग के बाद सिट्ज़ बाथ लेने से रिकवरी में तेजी आती है।
- कब्ज से बचने के लिए फाइबर युक्त भोजन का सेवन करें।
- आहार में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें।
- प्रतिदिन 7-8 गिलास पानी पियें।
- डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं और मलहमों को समय पर इस्तेमाल करें।
- सर्जरी के बाद कोई भी साइड इफेक्ट्स दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
फिशर (गुदा में दरार) ऑपरेशन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?
लेजर एनल फिशर सर्जरी के बाद मरीज को पूरी तरह से ठीक होने में करीब 1-2 सप्ताह तक का समय लग सकता है। हालांकि मरीज इस सर्जरी के बाद फिशर के दर्द से एक सप्ताह के भीतर ही सामान्य अनुभव करने लगता है और अपने रुटीन कार्यों को कर सकता है। सर्जरी के बाद जल्दी रिकवर होने के लिए मरीज को डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।
फिशर (गुदा में दरार) ऑपरेशन का खर्च
भारत में फिशर के इलाज की लागत आम तौर पर 25,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच होती है। हालांकि गुदा विदर सर्जरी की अंतिम लागत विभिन्न कारकों के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकती है जैसे अस्पताल में भर्ती शुल्क, प्रोक्टोलॉजिस्ट के परामर्श शुल्क, अस्पताल की पसंद, बीमा कवरेज, एनेस्थीसिया की लागत, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के शुल्क और नैदानिक परीक्षण आदि।
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फिशर (गुदा में दरार) ऑपरेशन के फायदे
फिशर ऑपरेशन के निम्न फायदे हो सकते हैं:
- लेजर एनल फिशर सर्जरी एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम दर्द और असुविधा होती है।
- इस सर्जरी के बाद फिशर के कारण गुदा की मांसपेशियों पर पड़ने वाले दबाव से राहत मिलती है।
- इस सर्जरी के बाद मरीज को दर्द से राहत मिल जाती है और वह एक बार फिर अपना सामान्य जीवन जी सकता है।
- यह प्रक्रिया बाह्य रोगी के आधार पर की जाती है, जिससे मरीज़ को हॉस्पिटल में एडमिट होने की आवश्यकता नहीं होती है।
- पारंपरिक सर्जरी की तुलना में गुदा विदर लेजर सर्जरी में रक्तस्राव और संक्रमण जैसी जटिलताओं का जोखिम कम होता है।
- गुदा विदर लेजर सर्जरी के बाद दोबारा फिशर होने की संभावना आमतौर पर कम होती है।
- इस सर्जरी के बाद मरीज़ तेजी से सामान्य गतिविधियों को दोबारा शुरू करने में सक्षम होता है।
- फिशर लेजर सर्जरी क्रोनिक एनल फिशर उपचार के लिए सबसे प्रभावी विकल्प है।
- लेजर सर्जरी में मरीज को बेहद कम दर्द होता है।
फिशर (गुदा में दरार) का ऑपरेशन के डॉक्टर के पास कब जाएं
फिशर के निम्न लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
- शौच के दौरान अधिक ब्लीडिंग होने कारण चक्कर आना या बेहोशी महसूस करना।
- बुखार आना।
- ठंड लगना।
- प्रभावित क्षेत्र में असहनीय दर्द होना।
- गुदा से दुर्गंधयुक्त स्राव होना।
- 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में मलाशय से रक्तस्राव होना।
फिशर (गुदा में दरार) के ऑपरेशन के बाद क्या खाना चाहिए क्या नहीं
क्या खाना चाहिए
- उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ लेने से कब्ज को रोकने में मदद मिल सकती है। इससे गुदा विदर के लक्षणों में सुधार हो सकता है।
- ब्राउन राइस, क्विनोआ और साबुत गेहूं की ब्रेड जैसे साबुत अनाज का सेवन करने से मल त्यागते समय अधिक जोर नहीं लगाना पड़ता। इससे फिशर में आराम मिलता है।
- चिकन, मछली और टोफू जैसे कम वसा युक्त प्रोटीन स्रोत का सेवन करें। इनसे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति होती है।
- दही और दूध जैसे कम वसा वाले डेयरी उत्पादों का सेवन करें। ये पाचन के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
- मल को मुलायम और आसानी से निकलने योग्य बनाए रखने के लिए दिन खूब पानी पिएं।
- बादाम, चिया और अलसी के बाज का सेवन करें। इनमें स्वस्थ वसा और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है।
- कैमोमाइल या पेपरमिंट जैसी हर्बल चाय पाचन तंत्र को शांत करने और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है।
- जैतून का तेल और अन्य स्वस्थ वसा पाचन तंत्र को चिकना करने और जलन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
- शकरकंद और स्क्वैश बिना किसी परेशानी के महत्वपूर्ण विटामिन और पोषक तत्व प्रदान कर सकते हैं।
क्या नहीं खाना चाहिए
- अधिक मसालेदार और तेल से बने आहार का सेवन करने से बचें।
- प्रसंस्कृत आहार का सेवन न करें।
- कैफीन युक्त पेय और खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचें।
- ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जिनसे अपच की संभावना हो सकती है।
- शराब का सेवन न करें।
- धूम्रपान बंद करें।
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