डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है?
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक आँखों की समस्या है जो डायबिटीज के मरीजों में हो सकती है। यह एक प्रकार की आँख की बीमारी है जो डायबिटीज के मरीजों को हाई ब्लड शुगर के कारण होती है और यह रेटिना में विभिन्न प्रकार के बदलावों की प्रक्रिया होती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण, रेटिना की सामान्य कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे आँखों की रोशनी कमजोर हो सकती है या अंत में रेटिना की पूर्णता खो जाने की संभावना होती है।
पहली स्टेज में डायबिटिक रेटिनोपैथी में कोई संकेत या हल्की दृष्टि समस्याओं के कुछ संकेत नहीं हो सकते हैं, लेकिन यह गंभीर स्थिति पैदा कर सकते हैं और व्यक्ति को अंधा बना सकते हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज़ वाले किसी भी व्यक्ति में विकसित हो सकती है। जितने अधिक समय से आपको डायबिटीज़ रही है, आपका ब्लड ग्लूकोस भी उतना ही कम कंट्रोल होता है और इस आई कॉम्प्लिकेशन्स के विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के प्रकार
डायबिटिक रेटिनोपैथी कई प्रकार की होती है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- नॉन प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (NPDR): डायबिटिक वाले लोगों को डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक नेत्र रोग हो सकता है। यह तब होता है जब हाई ब्लड प्रेशर क लेवल रेटिना में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी उन लोगों में से 80 प्रतिशत को प्रभावित करती है जिन्हें 20 साल या उससे अधिक समय से डायबिटीज है। आंखों के उचित उपचार और निगरानी से कम से कम 90% नए मामलों को कम किया जा सकता है।
- प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (PDR): यह गंभीर प्रकार की डायबिटिक रेटिनोपैथी होती है और इसमें रेटिना केरेटिना में नई शिरों की विकासित होने की प्रक्रिया होती है, जो कि रेटिना के पास कपिलेयरेटिना की आपूर्ति को अधिक बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे शिरों को "न्यू ब्लड वेसल्स" कहा जाता है और वे बेहतर नहीं होते हैं, जो रेटिना के समर्थन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- सीसीएमई (सेंट्रल सीरस कोरॉइड एडीमा): इसमें रेटिना के मध्य भाग में सीरस कॉरॉइड (आँख की पृष्ठी के नीचे रक्तपानी की स्तर) में वृद्धि होती है जो कि रेटिना के पास तंतु और नसों को दबाती है और विस्तारित होती है। इससे रेटिना की पानी बही जा सकती है और दृष्टिशक्ति में सुधार हो सकता है।
- ट्रेक्शनल रेटिनल डिटैचमेंट: डायबिटिक रेटिनोपैथी के अधिक प्रगतिशील मामलों में,रेटिना की सतह से रेटिना की अलगाव की प्रक्रिया हो सकती है, जिससे ट्रेक्शनल रेटिनल डिटैचमेंट हो सकता है।
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डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज से पहले ध्यान देने योग्य बातें!
डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज से पहले आपको ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
- नियमित आँखों की जांच करवाएं: डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को समय पर पहचानने के लिए आपको नियमित रूप से आँखों की जांच करवानी चाहिए। डॉक्टर आपके डायबिटीज के नियंत्रण को मानकर जांच की आवश्यकता और अंतराल तय करेंगे।
- डायबिटीज को कंट्रोल में रखें: डायबिटीज को अच्छे से नियंत्रित रखना डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। रेगुलर खून शर्करा की जांच, डायट प्लान का पालन, दवाओं का सही समय पर सेवन करना आदि इसमें मदद कर सकते हैं।
- हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करें: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और सही नींद लेना भी डायबिटिक रेटिनोपैथी के जोखिम को कम कर सकता है।
- नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लें: अपने आँखों की स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी समस्या के लिए, नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्हें आपके आँखों की निगरानी करने देने चाहिए और उनकी सलाह का पालन करना चाहिए।
- नियमित उपचार: अगर डायबिटिक रेटिनोपैथी की डायग्नोसिस होती है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाई गई उपचार योजना का सख्ती से पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है।
- आँखों की देखभाल करें: अपनी आँखों की देखभाल के लिए उन्हें सही तरीके से सफाई करना, नियमित चेक-अप करवाना, और उपचार के बारे में जागरूक रहना जरूरी है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज से पहले ये सभी मामूली बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि डायबिटिक रेटिनोपैथी से उत्पन्न समस्याओं की सही समय पर पहचान और इलाज हो सके।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के इलाज की प्रक्रिया एवं विधियाँ
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक आँखों की समस्या है जो डायबिटीज के रोगियों में हो सकती है, और यह रेटिना में कई प्रकार के बदलावों का कारण बन सकती है जिनमें आँखों की रोशनी कमजोर हो सकती है या अंत में रेटिना का पूर्ण रूप से खो जाने की संभावना होती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार के विकल्पों में रेटिनल लेजर फोटोकोगुलेशन और विट्रोक्टोमी सर्जरी शामिल हैं।
- लेज़र फोटोकॉएग्यूलेशन: यह एक लेजर तकनीक पर आधारित नेत्र चिकित्सा है जिसमें लेज़र से उष्मा का उपयोग रेटिना में असामान्य रक्त वाहिकाओं को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए किया जाता है। इस उपचार से रक्त संचार में सुधार होता है और रेटिना को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसका उपयोग आमतौर पर विशेषज्ञों द्वारा डायबिटिक रेटिनोपैथी और मैक्यूलर डिजनरेशन (एएमडी) जैसी आँखों की बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जिसमें रेटिनल टियर, मैकुलर एडिमा और रेटिनल वेन ऑक्लूजन शामिल हैं।
- एंटी वीईजीएफ़ इंजेक्शन: Anti-VEGF Injection (Accentrix/Razumab/Eylea/Ozurdex) परदे (Retina) की सतह पर इंजेक्ट करना डायबिटिक रेटिनोपैथी के असर को नियंत्रित करने में काफी हद तक सहायक होता हैं।
- विट्रोरेटिनल आई सर्जरी (Vitreoretinal Eye Surgery): अगर रेटिनोपैथी की समस्या काफी बढ़ जाए जिससे उसका इलाज लेजर विधि से संभव ना हो तो उस अवस्था में सर्जरी के जरिए रक्त कोशिकाओं (ब्लड सेल्स) या धब्बों को निकाला जाता है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या टाइप-1 या टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित किसी भी मरीज को हो सकती है. जितने लंबे समय से आपको डायबिटीज है उतना ही इसका खतरा बढ़ता जाता है. इसलिए, यदि आपको डायबिटीज की समस्या है और आपको किसी भी तरह के आंखों की समस्या का संकेत मिल रहा है, तो आपको तुरंत अपने रेटिना विशेषज्ञ से मिलना चाहिए और बिना देरी किये डायबिटिक रेटिनोपैथी का उपचार कराना चाहिए।
यह सिर्फ़ कुछ प्रमुख प्रकार की डायबिटिक रेटिनोपैथी हैं। आपके डॉक्टर आपकी स्थिति की विशिष्टता के आधार पर उपचार का प्रारंभ करेंगे और सबसे उपयुक्त उपाय का सुझाव देंगे।
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